Tuesday, December 11, 2018

Types of Internet Services – Internet Access करने के तरीके

Types of Internet Services – Internet Access करने के तरीके


Types of Internet Services – जब एक User के रूप में हम Internet द्वारा Provide की जाने वाली Services को Use करना चाहते हैं, तब हमें किसी न किसी Internet Service Provider की Internet Service को Use करना होता है जो कि Directly या Indirectly Paid या Free हो सकती है और अलग-अलग प्रकार के आधार पर हमें भिन्न-भिन्न प्रकार का Internet Service प्राप्त हो सकता है।
उदाहरण के लिए यदि हम Broadband Connection Use करते हैं, तो हमें प्राप्त होने वाली Internet Speed 2G/3G/4G या Dialup Connections की तुलना में अलग-अलग होती है और इन भिन्न-भिन्न प्रकार की Speed के लिए किया जाने वाला भुगतान भी अलग-अलग होता है। फिर भी विभिन्न प्रकार के Internet Connections को हम निम्नानुसार कुल 6 भागों में विभाजित कर सकते हैं-
Gateway Access Connection
इस प्रकार के Internet Connection को Level-One प्रकार का Internet Connection भी कहा जाता है। इसके अन्तर्गत एक Network के माध्‍यम से Internet को Access किया जाता है जो कि स्वयं Internet पर नहीं होता। Gateway वास्तव में दो Different प्रकार के Networks को आपसे में Communicate करवाने का काम करता है।
यानी दुनियां भर में विभिन्न प्रकार की Devices हैं, जिन पर विभिन्न प्रकार के Operating Systems (Windows, Linux, Unix, Macintosh, Android, iOS, etc…) Run होते हैं और इन विभिन्न प्रकार की Devices को आपसे में Communicate करवाने के लिए जो Network अपना Role Play करता है, उसे हम Gateway के रूप में Identify करते हैं। लेकिन Gateway के माध्‍यम से Internet को Use करने वाले Users, Internet के एक Limited हिस्से को ही Access करने में सक्षम होते हैं, इसलिए ये Users Internet पर उपलब्ध सभी Tools को Use नहीं कर सकते।
एक Gateway को Use करने वाले सभी Users Internet के किस हिस्से को Access कर सकते हैं और किसे नहीं तथा Internet के किन Tools को Access कर सकते हैं और किसे नहीं, इस बात को पूरी तरह से Gateway Access Provide करने वाला ISP (Internet Service Provider) तय करता है।
VSNL (Videsh Sanchar Nigam Limited), Gateway Access प्रकार के Level-One Internet Connection का सबसे उपयुक्त उदाहरण है क्‍योंकि सम्पूर्ण भारत में Internet को इसी Gateway के माध्‍यम से Use किया जाता है।
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अन्‍य शब्दों में कहें तो भारत के सभी Internet Service Provider वास्तव में VSNL के माध्‍यम से ही Internet Service Provide करते हैं। इसलिए VSNL जिस Website या Network को Ban कर दे, सम्पूर्ण भारत में उस Website या Network से Connect नहीं हुआ जा सकता।
Dialup Access
इस प्रकार के Internet Connection को Level-Two प्रकार का Internet Connection भी कहा जाता है। इसके अन्तर्गत हमें एक Dialup Terminal के माध्‍यम से Internet को Access करने की सुविधा प्राप्त होती है। इस प्रकार के Connection में जो Computer System हमें Internet Use करने की सुविधा Provide करता है, उसे “Host” Computer कहा जाता है, जबकि जिस Computer System पर Internet Service को Use किया जाता है, उसे “Client” या “Terminal” Computer के नाम से जाना जाता है।
Client Computer को Host Computer से Internet Access की सुविधा प्राप्त करने के लिए “Modem” नाम की Device का प्रयोग करना पडता है, जो कि Client Computer को ऐसा Feeling Provide करता है, जैसे कि वह Directly Internet से जुडा हुआ हो, जबकि वास्तव में वह एक Host Computer से जुडा होता है और उसके Computer पर आने वाला Internet Service पूरी तरह से Host Computer के माध्‍यम से आता है। अत: इस प्रकार के Internet Connection को “Remote Modem Access” Connection के नाम से भी जाना जाता है।
इस प्रकार के Internet Connection में Client द्वारा Fire किए जाने वाले सभी Internet Commands को Host Computer ही Accept करता है और आगे Internet पर Forward करता है। इसलिए इस प्रकार के Connection में Client Computer एक Dumb Terminal की तरह Act करते हुए Remote Host से Connected रहता है और उसके द्वारा Fire किए गए सभी Actions को Remote Host Computer के Action की तरह Treat किया जाता है।
इस प्रकार के Internet Connections को ही यदि हम आगे और विभाजित करें, तो निम्नानुसार तीन भागों में विभाजित कर सकते हैं-
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Shell Connections
इस प्रकार के Connection में User केवल Textual Format में ही Internet को Access कर सकता है। Shell Account नाम के पिछले Section में हमने इसे काफी विस्तार से Discuss किया है।
TCP/IP Connections
वर्तमान समय में Use किए जाने वाले सभी Modern Web Browsers इसी प्रकार के Connections की वजह से Internet की सभी Services को GUI Mode में Access कर पा रहे हैं। इस प्रकार के Connection को भी हमने पिछले Section में PPP Account के रूप में काफी विस्तार से Discuss किया है।
ISDN Connections
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ISDN (Integrated Services Digital Network) के रूप में हम Dialup Connections के रूप में Internet Services को Digital Phone Lines के माध्‍यम से Access करने की सुविधा प्राप्त करते हैं।
ISDN नाम की Dialup Services हमें Telephone Companies Provide करती हैं हालांकि वर्तमान समय में ये Dialup Services काफी कम लोग Use करते हैं। फिर भी Dialup Services को Use करने के लिए हमें मूलत: निम्न Software व Hardware की जरूरत होती है-
Internet Supported Device (Computer, Smart Phone, Tablet, etc…)
Modem
Landline Telephone Connection
Shell Account or TCP/IP/ISDN Account from ISP
Internet Client Software like Web Browser
Leased Line Connection
इस प्रकार के Internet Connection को Level-Three प्रकार का Internet Connection अथवा Direct-Internet Connection भी कहा जाता है।
इस प्रकार का Internet Connection सबसे अधिक Secure, Dedicated, Fast व सबसे अधिक महंगा होता है। इसलिए इस Connection को Use करते समय हमारा Computer System, Internet Network से High-speed Transmission Lines के माध्‍यम से हर समय Directly Connected रहता है।
DSL Connection
इस प्रकार के Internet Connection को Level-Four प्रकार का Internet Connection भी कहा जाता है और हम अपने Telephone Lines के माध्‍यम से जिस BSNL या MTNL के Broadband Connection को Use करते हैं, वह वास्तव में इसी प्रकार का Connection होता है।
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ये Connection कुछ हद तक Dialup Connection की तरह ही Telephone Lines के माध्‍यम से Access होता है लेकिन ये Connection DSL (Digital Subscriber Line) द्वारा प्राप्त होता है जो कि एक प्रकार का High Frequency Band होता है। इस प्रकार के Internet Connection की Speed 256kbps से 40 Mbps तक होता है।
Cable Modem Connection
इस प्रकार के Internet Connection को सामान्यत: Telephone Links के माध्‍यम से नहीं बल्कि Cable Modem के माध्‍यम से Access किया जाता है।
Cable Modem एक ऐसा Modem होता है जो हमें हमारे घरों में Television Connection के लिए Use किए जाने वाले Cable के माध्‍यम से Provide किया जाता है। इस प्रकार का Connection वास्तव में एक प्रकार का Network Bridge युक्त Modem होता है, जो कि Radio Frequency Channels के माध्‍यम से Bi-Directional Data Communication की सुविधा Provide करता है।

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Working of HTTP Protocol - Evolution of Web Applications - Core JSP in Hindi
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JSP Pages Memory में Exist एक Single Instance के रूप में Operate होते हैं, जबकि Multiple Requests को समानान्तर रूप से Handle करने के लिए एक Single Process में Multiple Java Threads Run हो रहे होते हैं और जैसाकि उपरोक्त चित्र द्वारा हम समझ सकते हैं कि Java Servlet व JSP Pages, दोनों ही तकनीकें Java आधारित Large-Scale Powerful Web Applications Develop करने के लिए J2EE (Java 2 Enterprise Edition) Environment को सम्पूर्णता के साथ Use कर सकते हैं।

हालांकि जब Java Servlet व JSP API को Release किया गया था, तब CGI प्रत्येक Request को Handle करने के लिए Web Server पर एक Separate Process Create करता था, लेकिन वर्तमान समय में FastCGI तकनीक द्वारा Java की तरह ही Multiple Requests को एक ही Process के Multiple Threads द्वारा Handle किया जा सकता है।

इसीलिए वर्तमान समय में भी Perl आधारित CGI तकनीक को Use करते हुए भी Dynamic Web Development किया जाता है। हालांकि इस प्रकार के CGI आधारित Web Development की मात्रा काफी कम है।

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